पहले थी सुस्त, दबाव पड़ने पर पुलिस ने दिखाई तेजी
किराना व्यवसायी अखिलेश जायसवाल के अपहरण की घटना को सिकरारा पुलिस ने पहले हल्के में लिया था। बाद में राजनीतिक और व्यापारियों का दबाव पड़ा तो मामले में मुकदमा दर्ज किया गया। ऐसे में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
व्यवसायी अखिलेश जायसवाल 30 दिसंबर की रात साढ़े आठ बजे घर से टहलने निकले थे। दो घंटे तक इंतजार के बाद पत्नी अनामिका ने फोन लगाया तो नंबर बंद मिला। घबराई पत्नी ने आसपास के लोगों और डायल 112 पर सूचना दी। पुलिस आई और छानबीन कर चली गई। अगले दिन सुबह घर से कुछ दूर सड़क के किनारे अखिलेश की टोपी मिली तो पत्नी ने परिजनों के साथ थाने में अनहोनी की आशंका की जताते हुए तहरीर दी किंतु पुलिस ने इसे हल्के में ले लिया और गुमशुदगी की बात करने लगी। बाद में व्यापारियों के आक्रोश को देखते हुए तीसरे दिन एक जनवरी को अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद भी कुछ पता न चलने पर परिवारवाले रविवार को पूर्व सांसद धनंजय सिंह से मिले। उन्होंने उन लोगों केसामने ही थानाध्यक्ष संतोष राय को फोन पर कड़े शब्दों में हिदायत दी थी। मंगलवार को सपा जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव, विधायक लकी यादव व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राज बहादुर यादव ने व्यवसायी के परिजनों से मिल कर ढांढस बधाया। साथ ही डीआईजी व एसपी से त्वरित कार्रवाई करने की बात कही। इसकेबाद पुलिस ने समसपुर भूआकला निवासी अमन सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पूरा मामला सामने आ गया। बाजार में पूरे दिन इसी की चर्चा होती रही, काश जिस गति से पुलिस ने मंगलवार की रात कार्रवाई की, उसी तरह पहले इस मामले में लगी होती तो शायद अखिलेश मुक्त करा लिए जाते।
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